पद परिचय

पद परिचय (Pad prichay) की परिभाषा

वाक्य में शब्दों के प्रयुक्त होने पर शब्द पद कहलाते हैं। वाक्य में शब्द नहीं, पद होते हैं। वाक्य में प्रत्येक पद के स्वरूप तथा अन्य पदों के साथ उसका संबंध बताने की क्रिया को पद-परिचय कहते हैं।

पद परिचय का अर्थ है वाक्य में प्रयुक्त पदों का व्याकरणिक परिचय देना। 'पदनिर्देश', 'पदच्छेद', 'पदविन्यास', पदपरिचय के ही पर्यायवाची शब्द हैं। पदपरिचय में वाक्य के पदों का परिचय, उनका स्वरूप एवं दूसरे पदों के साथ उनके संबंध को दर्शाना होता है, अर्थात व्याकरण संबंधी ज्ञान की परीक्षा और उस विद्या के सिद्धांतों का व्यावहारिक उपयोग ही पदपरिचय का मुख्य उद्देश्य है।

पद परिचय के भेद

प्रयोग के आधार पर पद परिचय आठ प्रकार के होते हैं-
(1) संज्ञा (2) सर्वनाम (3) विशेषण (4) अव्यय (5) क्रियाविशेषण (6) क्रिया (7) संबंधबोधक (8) समुच्चयबोधक

(1) संज्ञा का पदपरिचय:- वाक्य में संज्ञापदों का पदपरिचय करते समय संज्ञा, संज्ञा के भेद, लिंग, वचन, कारक तथा क्रिया या अन्य पदों के साथ उसका संबंध बतलाना आवश्यक है।

उदाहरण1- हिमालय भारत का पहाड़ है। उपर्युक्त वाक्य में 'हिमालय' 'भारत' और 'पहाड़' संज्ञापद है।
इनका पदपरिचय निम्नलिखित तरीके से किया जाएगा-
हिमालय : व्यक्तिवाचक संज्ञा, अन्यपुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक 'है' क्रिया का कर्ता है।
भारत : व्यक्तिवाचक संज्ञा, अन्यपुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, संबंधकारक इस पद का संबंध 'पहाड़' से हैं।
पहाड़ : जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्मकारक।

दूसरा उदाहरण- लंका में राम ने वाणों से रावण को मारा।
इस वाक्य में 'लंका', 'राम', 'वाणों', और 'रावण' चार संज्ञा पद हैं। इनका पद परिचय इस प्रकार होगा।
लंका : संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्त्ता कारक, 'मारा' क्रिया का आधार।
राम : संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्त्ता कारक, 'मारा' क्रिया का कर्त्ता।
वाणों : संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, बहुवचन, करण कारक, 'मारा' क्रिया का कर्म।
रावण : संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक, 'मारा' क्रिया का कर्म।

(2) सर्वनाम का पदपरिचय:- सर्वनाम का पदपरिचय दर्शाने में सर्वनाम का भेद, वचन, लिंग, कारक और वाक्य के अन्य पदों से संबंधों को दिखाना पड़ता है।

उदाहरण- जिसे आप लोगों ने बुलाया है, उसे अपने घर जाने दीजिए।
इस वाक्य में 'जिसे', 'आप लोगों ने', 'उसे' और 'अपने' पद सर्वनाम हैं। इसका पद परिचय इस प्रकार होगा।
जिसे : अन्य पुरुष, सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।
आपलोगों ने : पुरुषवाचक सर्वनाम, मध्यम पुरुष, पुल्लिंग, बहुवचन, कर्त्ता कारक।
उसे : अन्य पुरुष, सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।
अपने : निजवाचक सर्वनाम, मध्यम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, संबंध कारक।

(3) विशेषण का पदपरिचय:- विशेषण का पद परिचय करते समय विशेषण, विशेषण के भेद, लिंग, वचन और विशेष्य बतलाना चाहिए।
विशेषण का लिंग, वचन विशेष्य के अनुसार होता है।

उदाहरण1- ये तीन किताबें बहुमूल्य हैं।
उपर्युक्त वाक्य में 'तीन' और 'बहुमूल्य' विशेषण हैं। इन दोनों विशेषणों का पदपरिचय निम्न तरीके से किया जा सकता है-
तीन : संख्यावाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन, इस विशेषण का विशेष्य 'किताब' हैं।
बहुमूल्य : गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन।

दूसरा उदाहरण- सज्जन मनुष्य बहुत बातें नहीं बनाते।
इस वाक्य में 'सज्जन' और 'बहुत' विशेषण पद हैं। इसका पद परिचय इस प्रकार होगा :
सज्जन : विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, बहुवचन, इसका विशेष्य 'मनुष्य' है।
बहुत : विशेषण, संख्यावाचक, अनिश्चयवाचक, स्त्रीलिंग, बहुवचन, 'बातें' इसका विशेष्य है।

(4) विस्मयादिबोधक अव्यय का पदपरिचय:- विस्मयादिबोधक अव्यय का पदपरिचय करने के लिए वाक्य में प्रयुक्त अव्यय का भेद और उससे संबंधित पद को लिखना होता है।

उदाहरण- वे प्रतिदिन आते हैं। वाक्य में 'प्रतिदिन' अव्यय है। इसका पदपरिचय इस तरह होगा-
प्रतिदिन : कालवाचक अव्यय, यह 'आना' क्रिया का काल सूचित करता है। इसलिए 'आना' क्रिया का विशेषण है।

दूसरा उदाहरण- वाह ! कैसी अच्छी पुस्तक लाये।
वाह ! : विस्मयादिबोधक, आनन्द प्रकट करता है।

(5) क्रियाविशेषण का पदपरिचय:- क्रियाविशेषण का पदपरिचय करते समय क्रियाविशेषण का प्रकार और उस क्रिया पद का उल्लेख करना होता हैं, जिस क्रियापद की विशेषता प्रकट करने के लिए क्रियाविशेषण का प्रयोग हुआ है।

उदाहरण1- लड़के उछलते हुए खेल रहे हैं।
इस वाक्य में 'उछलते हुए' क्रियाविशेषण है। इस क्रियाविशेषण का पदपरिचय निम्न तरीके से होगा-
उछलते हुए : रीतिवाचक क्रियाविशेषण 'खेलते है' क्रिया की विशेषता बतलाता है।

दूसरा उदाहरण- बहुत जल्द जाओ।
इस वाक्य में 'बहुत' और 'जल्द' क्रिया-विशेषण पद हैं। इनका पद परिचय इस प्रकार होगा।
बहुत : परिमाणवाचक क्रियाविशेषण और जल्द का गुणबोधक है।
जल्द : समयवाचक क्रियाविशेषण और क्रिया का काल बतलाता है।

(6) क्रिया का पदपरिचय:- क्रिया का पदपरिचय करते समय क्रिया का प्रकार, वाच्य, काल, लिंग, वचन, पुरुष, और क्रिया से संबंधित शब्द को लिखना पड़ता है।

उदाहरण- वे जाएँगे।
उपर्युक्त वाक्य में 'जाएँगे' क्रिया है। इस वाक्य का पदपरिचय निम्न तरीके से किया जा सकता है-
जाएँगे- कर्तृवाच्य, सामान्य भविष्यतकाल, अन्य पुरुष, पुल्लिंग, बहुवचन। 'जाएँगे' क्रिया का कर्ता 'वे' हैं।

दूसरा उदाहरण- श्याम ने भात खाकर पुस्तक पढ़ी।
इस वाक्य के 'खाकर' और 'पढ़ी' क्रिया पद हैं। इनका पद परिचय इस प्रकार होगा :
खाकर : पूर्वकालिक क्रिया, सकर्मक, कर्त्तृवाच्य, इसका कर्म 'भात' है।
पढ़ी : सकर्मक क्रिया, कर्मवाच्य, सामान्य भूतकाल, निश्चयार्थ प्रकार, स्त्रीलिंग, एकवचन, अन्य पुरुष, इसका कर्त्ता 'राम' तथा कर्म 'पुस्तक' हैं।

(7) संबंधबोधक का पदपरिचय:- संबंधबोधक का पदपरिचय करते समय संबंधबोधक का भेद और संबंधबोधक से संबंधित शब्द को लिखना पड़ता है।

उदाहरण- कुरसी के नीचे बिल्ली बैठी है।
उपर्युक्त वाक्य में 'के नीचे' संबंधबोधक है। ‘कुरसी’ और ‘बिल्ली’ इसके संबंधी शब्द हैं।

दूसरा उदाहरण- इस सन्दूक के भीतर चार पुस्तकें और दो पत्र हैं।
इस वाक्य में 'भीतर' संबंध बोधक पद है। इसका पद परिचय इस प्रकार होगा :
भीतर : संबंध वाचक अव्यय, इसका संबंध 'सन्दूक' से है।

(8) समुच्चयबोधक का पदपरिचय:- समुच्चयबोधक का पदपरिचय करते समय समुच्चयबोधक का भेद और समुच्चयबोधक से संबंधित योजित शब्द को लिखना पड़ता है।

उदाहरण- कलकत्ता अथवा दिल्ली में पढ़ना ठीक है।
इस वाक्य में 'अथवा' समुच्चय बोधक शब्द है। इसका पद परिचय इस प्रकार होगा :
अथवा : विभाजक समुच्चय बोधक अव्यय 'कलकत्ता' और दिल्ली का विभाजक संबंध।

पद परिचय कैसे पहचानते है ?

सबसे पहले आपको संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, क्रिया-विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक, विस्मयादिबोधक, अवधारक (निपात) आदि के बारे में जानकारी होनी चाहिए।

(1)अगर रेखांकित शब्द किसी व्यक्ति, वस्तु, प्राणी, पक्षी, भाव,जाति आदि के बारे में बताता है तो वह शब्द संज्ञा है।
रेखांकित शब्द किसी संज्ञा के स्थान पर शब्द का प्रयोग जैसे- मेरा, मै ,तुम, आपका, उस, वह आदि शब्द है तो वह शब्द सर्वनाम है।

(2)अगर रेखांकित शब्द किसी वस्तु, स्थान, पशु, पक्षी आदि की विशेषता बताता है मतलब वह कैसा है- लंबा है, सुंदर है, डरावना है आदि तो वह शब्द विशेषण है।

(3)रेखांकित शब्द वाक्य में जो क्रिया है उसकी विशेषता बताता है तो वह क्रिया विशेषण है। जैसे कि- क्रिया कब हो रही है (कल, अभी, दिनभर), क्रिया कैसे हो रही है (चुपचाप, अवश्य, तेजी से), क्रिया कहाँ हो रही है (अंदर, ऊपर, आसपास), क्रिया कितनी मात्रा में हो रही है (कम, पर्याप्त, ज्यादा)

(4)अगर रेखांकित शब्द किसी दो या अधिक संज्ञा और सर्वनाम के बीच का संबंध दर्शाता है तो वह संबंधबोधक अव्यय है। जैसे:- के पास, के ऊपर, से दूर, के कारण, के लिए, की ओर

(5)रेखांकित शब्द किसी दो वाक्यों के बीच का संबंध दर्शाता है तो वह समुच्चयबोधक अव्यय है। जैसे- और, अतएव, इसलिए, लेकिन

(6)अगर रेखांकित शब्द किसी विस्मय, हर्ष, घृणा, दुःख, पीड़ा आदि भावो को प्रकट करते है तो वह विस्मयादिबोधक अव्यय है। जैसे – अरे !, वाह !, अच्छा ! आदि।

(7)रेखांकित शब्द किसी बात पर ज्यादा भार दर्शाता है तो वह निपात है। जैसे:- भी, तो, तक, केवल, ही




यहाँ पर कुछ उदाहरण दे रहे हैं-

(1) यह लड़का साहित्यिक पुस्तकें पढ़ता है।
लड़का : संज्ञा, जातिवाचक, पुलिंग, एकवचन, कर्ता, अन्य पुरुष, 'पढ़ता है' क्रिया का कर्त्ता और वाक्य का उद्देश्य
साहित्यिक : विशेषण, गुणवाचक, 'पुस्तके' इसका विशेष्य है। यह विधेय का विस्तार है।
पुस्तकें : संज्ञा, जातिवाचक, स्त्रीलिंग, बहुवचन, कर्म कारक और विधेय का विस्तार है।
पढ़ता : क्रिया, सामान्य वर्तमान, पुल्लिंग, एकवचन, सकर्मक, वाक्य का विधेय है।
हैं : सहायक क्रिया, वर्तमान काल और वाक्य का विधेय है।

(2) जो परिश्रम करेगा, वह अवश्य सफल होगा।
जो : सर्वनाम, संबंधवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्त्ताकारक, 'करेगा' क्रिया का कर्त्ता।
परिश्रम : संज्ञा, भाववाचक, पुलिंग, एकवचन, कर्मकारक, 'करेगा' क्रिया का कर्म।
करेगा : क्रिया, सकर्मक, सामान्य, भविष्यत काल, पुलिंग, एकवचन, प्रथम पुरुष, 'जो' कर्त्ता की क्रिया।
वह : सर्वनाम, पुरुषवाचक, पुलिंग, एकवचन, अन्य पुरुष, कर्त्ता कारक, 'होगा' क्रिया का कर्त्ता और वाक्य का उद्देश्य है।
अवश्य : अव्यय, क्रियाविशेषण।
सफल : विशेषण, गुणवाचक, 'वह' इसका विशेष्य है।
होगा : 'हो' धातु, अकर्मक क्रिया, पुलिंग, एकवचन, भविष्यत् काल, वाक्य का विधेय है।

(3)कृष्ण और सुदामा वृन्दावन से शीघ्र जायेंगे।
कृष्ण : संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, अन्यपुरुष, 'जायेंगे' क्रिया का कर्त्ता।
और : संयोजक (अव्यय) कृष्ण और सुदामा को जोड़ता है।
सुदामा : संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, अन्यपुरुष, 'जायेंगे' क्रिया का कर्त्ता।
वृन्दावन : संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, अन्यपुरुष, अपादान कारक।
से : अपादान कारक की विभक्ति।
शीघ्र : कालवाचक क्रियाविशेषण, 'जायेंगे' क्रिया का विशेषण।
जायेंगे : अकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, एकवचन, अन्यपुरुष, सामान्य भविष्यत, कर्त्तृवाच्य 'कृष्ण' और 'सुदामा' इसके कर्त्ता हैं।

(4) इतिहास कहता है कि प्रताप ने देश की रक्षा के लिए भीषण लड़ाई की।
इतिहास : जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, अन्यपुरुष, 'कहता' है। क्रिया का कर्त्ता।
कहता है : सकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, एकवचन, अन्यपुरुष, वर्तमान, कर्त्तृवाच्य इसका 'कर्त्ता' 'इतिहास है'।
कि : संयोजक अव्यय, 'इतिहास कहता है' और 'प्रताप ने लड़ाई की' इन दो वाक्यों को जोड़ता है।
प्रताप : व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, अन्यपुरुष, 'की' क्रिया का 'कर्त्ता।
ने : कर्त्ताकारक की विभक्ति।
देश : जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, अन्यपुरुष, सम्बन्ध कारक, सम्बन्ध है : 'रक्षा' से।
की : सम्बन्ध कारक की विभक्ति। रक्षा : जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, अन्यपुरुष, सम्प्रदान कारक।
लिए : सम्प्रदान कारक की विभक्ति।
भीषण : गुणवाचक विशेषण, इसका विशेष्य है 'लड़ाई'।
लड़ाई : जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, अन्यपुरुष, कर्मकारक, इसकी क्रिया है 'की'।
की : सकर्मक क्रिया, स्त्रीलिंग, एकवचन, अन्यपुरुष, सामान्य भूतकाल, कर्मवाच्य इसका कर्म है 'लड़ाई'।

(5) रमेश यहाँ तीसरे बंगले में रहता था।
रमेश : संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्त्ताकारक, 'रहना' क्रिया का कर्त्ता।
यहाँ : क्रिया विशेषण, स्थानवाचक, रहना क्रिया के स्थान का द्योतक।
तीसरे : विशेषण, क्रमसूचक, संख्यावाचक, पुल्लिंग, एकवचन, विशेष्य- 'बंगला'
बंगले में : संज्ञा, जातिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, अधिकरण कारक।
रहता था : क्रिया, अकर्मक, एकवचन, अन्यपुरुष, भूतकाल, कर्त्तृवाच्य, क्रीतिप्रयोग, इस क्रिया का कर्त्ता रमेश।

(6)हम बाग में गये परन्तु वहाँ कोई आम न मिला।
हम : पुरुषवाचक सर्वनाम, अन्यपुरुष, पुल्लिंग, बहुवचन, कर्त्ताकारक, गए क्रिया का कर्त्ता।
बाग में : जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, अधिकरण कारक।
गए : अकर्मक क्रिया, उत्तम पुरुष, पुल्लिंग, बहुवचन, भूतकाल, निश्चयार्थ कर्त्तृवाच्य, कर्त्ता हम।
परन्तु : समुच्चय बोधक, अधिकरण।
वहाँ : क्रिया विशेषण, स्थान वाचक।
कोई : विशेषण, संख्यावाचक, पुल्लिंग, एकवचन, आम विशेष्य का विशेषण।
आम : जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्मकारक।
न : रीतिवाचक क्रिया-विशेषण, मिला क्रिया का स्थान निर्देश।
मिला : सकर्मक क्रिया, मिश्रधातु, अन्यपुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, भूतकाल, निश्चयार्थ, कर्त्तृवाच्य, 'हमे' कर्त्ता का लोप।

(7)मीरा यहाँ पाँचवीं कक्षा में पढ़ती थी।
मीरा : व्यक्तिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्त्ताकारक, पढ़ती थी क्रिया का कर्त्ता।
यहाँ : क्रिया विशेषण, स्थानवाचक, पढ़ती थी क्रिया का स्थान निर्देश।
पाँचवीं : विशेषण, क्रमसूचक, संख्यावाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, विशेष्य-कक्षा।
कक्षा में : जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, अधिकरण कारक।
पढ़ती थी : अकर्मक क्रिया, पठ धातु, अन्य पुरुष, स्त्रीलिंग, एकवचन, भूतकाल, कर्त्तृवाच्य, इसका कर्त्ता मीरा।

(8)हम अपने देश पर मर मिटेंगे।
हम : सर्वनाम-उत्तमपुरुष, बहुवचन, पुल्लिंग, कर्त्ताकारक।
अपने : सर्वनाम, निजवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, सम्बन्ध कारक, देश से सम्बन्ध।
देश पर : जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, अधिकरण कारक।
मर मिटेंगे : अकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, बहुवचन, भविष्यकाल, उत्तमपुरुष, कर्त्तृवाच्य, हम कर्त्ता की क्रिया।

प्रयोग की विशिष्टता के कारण पद परिचय में भिन्नता :

हिन्दी भाषा में अनेक ऐसे शब्द हैं जो विभिन्न शब्द भेदों का कार्य करते हैं। वाक्य में वे प्रयोग के अनुसार कभी संज्ञा, कभी विशेषण और कभी अव्यय बन जाते हैं। ऐसे शब्दों के कुछ उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं :

अच्छा :संज्ञाअच्छों की संगति में अच्छे हो जाओगे।
विशेषणअच्छे लड़के आज्ञाकारी होते हैं।
क्रिया-विशेषणमुझे उसका गाना अच्छा लगा।
विस्मयादि बोधकअच्छा! यह बात है।
एक :सर्वनामएक ने यह कहा।
विशेषणएक किताब मुझे भी दे दो।
क्रिया विशेषणएक तो गालियाँ दीं, दूसरे क्रोध भी करते हो।
डूबता :क्रियामैं डूबता तो कोई-न-कोई बचा लेता।
विशेषणडूबते जहाज से दो सौ व्यक्ति निकाल लिए गए।
संज्ञाडूबते को तिनके का सहारा।
भला :संज्ञासबका भला करो, भगवान।
विशेषणवह भला आदमी है।
क्रिया विशेषणआप भले आए।
साथ :संज्ञादुःख में कौन किसी का साथ देता है।
क्रिया विशेषणसब लड़के साथ खेलते हैं।
सम्बन्ध बोधकवह पिताजी के साथ जाने वाला था।
समुच्चय बोधकउसे यह पुस्तक देना, साथ ही कहना कि ......।

यहाँ हम महत्त्वपूर्ण पद परिचय दे रहे हैं।

निम्नलिखित वाक्यों में से रेखांकित पदों का पद परिचय लिखिए-
(1) सुरभि विद्यालय से अभी-अभी आई है।
उत्तर- संज्ञा, जातिवाचक, एकवचन, पुल्लिंग, अपादान कारक।

(2) उसने मेरी बातें ध्यानपूर्वक सुनी।
उत्तर- रीतिवाचक, क्रियाविशेषण, 'सुनना' क्रिया की विशेषता।

(3) शाबाश! तुमने बहुत अच्छा काम किया।
उत्तर- सर्वनाम, मध्यमपुरुष वाचक, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ताकारक।

(4) वहाँ दस छात्र बैठे हैं।
उत्तर- विशेषण, निश्चित संख्यावाचक, पुल्लिंग, बहुवचन।

(5) परिश्रम के बिना सफलता नहीं मिलती।
उत्तर- संबंधबोधक अव्यय, परिश्रम के साथ संबंध।

(6) दादा जी प्रतिदिन समाचार पत्र पढ़ती हैं।
उत्तर- एकवचन, क्रिया, स्त्रीलिंग।

(7) रोहन यहाँ नहीं आया था।
उत्तर- सर्वनाम, स्थानवाचक क्रिया विशेषण।

(8) वे मुंबई जा चुके हैं।
उत्तर- बहुवचन, सर्वनाम (पुरुषवाचक), कर्ता कारक।

(9) परिश्रमी अंकिता अपना काम समय में पूरा कर लेती हैं।
उत्तर- जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग विशेषता स्पष्ट करता है।

(10) रवि रोज सवेरे दौड़ता है।
उत्तर- व्यक्ति वाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग कर्ताकारक।

(11) अपने गाँव की मिट्टी छूने के लिए मैं तरस गया।
उत्तर- गाँव की- संज्ञा पद, संबंध कारक, जातिवाचक संज्ञा, एकवचन
मिट्टी- संज्ञा पद, जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, कर्मकारक
मैं- सर्वनाम, पुरुषवाचक, उत्तम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, वर्ताकारक
तरस गया- क्रिया पदबंध, अकर्मकद्ध, भूतकाल, पुल्लिंग, एकवचन

(12)मनुष्य केवल भोजन करने के लिए जीवित नहीं रहता है, बल्कि वह अपने भीतर की सूक्ष्म इच्छाओं की तृप्ति भी चाहता है।
उत्तर- मनुष्य- जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग कर्ताकारक।
वह- सर्वनाम, एकवचन, पुरुषवाचक, पुल्लिंग, कर्ताकारक।
सूक्ष्म- विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन, गुणवाचक।
चाहता- क्रिया, सकर्मक, पुल्लिंग, एकवचन, वर्तमान काल।

(13)आज विज्ञान व परमाणु-युग में सबसे नाजुक प्रश्न शान्ति ही है।
उत्तर- आज- क्रियाविशेषण, कालवाचक, है क्रिया का विशेषण।
विज्ञान- संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग।
नाजुक- विशेषण, एकवचन, स्त्रीलिंग।
शान्ति- भाववाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन।

(14)मानव को इंसान बनाना अत्यन्त की कठिन कार्य है लेकिन असम्भव नहीं।
उत्तर- मानव को- जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, कर्मकारक।
कठिन- गुणवाचक विशेषण, एकवचन, पुल्लिंग।
कार्य- क्रिया, एकवचन, पुल्लिंग, भाववाचक।
लेकिन- समुच्चयबोधक अव्यय।

(15)सुभाष पालेकर ने प्राकृतिक खेती की जानकारी अपनी पुस्तकों में दी है।
उत्तर- सुभाष पालेकर- व्यक्तिगत संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, कर्त्ता।
प्राकृतिक- उपसर्ग एवं प्रत्यय, एकवचन, स्त्रीलिंग विशेषण।
जानकारी- एकवचन, स्त्रीलिंग, भाववाचक संज्ञा।
दी है- सकर्मक क्रिया, वर्तमान काल।

(16)हिंदुस्तान वह सब कुछ है जो आपने समझ रखा है लेकिन वह इससे भी बहुत ज्यादा है।
उत्तर- हिंदुस्तान- व्यक्तिगत संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग।
आपने- सर्वनाम, पुरुषवाचक, एकवचन, पुल्लिंग।
लेकिन- समुच्चयबोधक अव्यय।
वह- सर्वनाम, अन्य पुरुषवाचक, एकवचन, पुल्लिंग।
बहुत- अनिश्चित परिमाणवाचक, बहुवचन, पुल्लिंग।

(17)भूषण वीर रस के कवि थे।
उत्तर-व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ताकारक 'कवि थे' क्रिया का कर्ता।

(18)वह अपनी कक्षा का मॉनीटर है।
उत्तर-सर्वनाम, पुरुषवाचक सर्वनाम, एकवचन, पुल्लिंग कर्ताकारक है क्रिया का कर्ता।

(19)धीरे-धीरे जाओ और बाजार से पेन ले आओ।
उत्तर-समानाधिकरण समुच्चयबोधक, दो शब्दों को जोड़ता है।

(20)हमेशा तेज चला करो।
उत्तर-विशेषण-क्रिया विशेषण, 'चला करो' विशेषण का विशेष्य।

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